रविवार, 4 जून 2017

मां से दिया कला का संस्कार- तनुश्री वर्मा

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तनुश्री वर्मा पेशे से साफ्टवेयर   इंजीनियर हैं लेकिन उनको पेंटिंग और क्ले मॉडलिंग से गहरा लगाव है। वह ग्लास पेंटिंग और ऑयल पेंटिंग दोनो बहुत खूबसूरती के साथ करती हैं जानते हैं  अपने बारे में क्या कहती हैं तनुश्री-- मैं सृजनात्मक वातावरण में बड़ी हुई। मैं जब बच्ची थी तो मां को क्राफ्ट की शिक्षा देते हुए देखा। वह चूडिय़ां को रखने के लिएबॉक्स बनाना सिखाती या फिर आडियो टेप रखने के लिए बॉक्स बनवाती। इसीतरह फोटोफ्रेम लैंपशेड्स बनाना सिखाती। यह सारी चीजें ऐसी चीजों सेबनाई जाती जो बहुत साधारण सी होती मसलन आइसक्रीम की डंडिया। मेरे पिता एक अच्छे कलाकार हैं। वह भी अपनी हॉबी को पूरा करने के लिए पेंटिंग करते। इस तरह अपने आप ही मैंने पेंटिंग, स्केचिंग और क्ले मॉडलिंग सीखा। मैंने इन तीन अलग अलग विधाओं में कला का स्वाद चखा लेकिन इनतीनों को पेटिंग में उपयोग कर पाना संभव नहीं है। मैं जब गिफ्ट शॉपमें जाती तो वहां कई छोटी छोटी कलात्मक चीजें देखती जो बहुत मंहगी होती। मैंने सोचा क्यों  मैं खुद इनको बनाऊं। और इस तरह मैंनेकलाकृतियां बनाना शुरू किया। जब मैंने बनाना शुरू किया तो मैंने कोईक्लास नहीं कि हां किताबें पढ़ी। मैं इसकी टेक्नीक से परिचित नहीं थी।इसको बनाने वाले औजार कहां मिलते हैं यह भी पता नहीं था। मैंने इसकेबारे में जानने केे लिए इंटरनेट का भी सहारा लिया। पिछले 8 साल से मैं इस काम को कर रही हूं। व्यस्त समय में क्ले के साथ कलाकृतियां बनानामुझे सुखद अनुभूति देता है। यह मुझे तनाव से मुक्त करता है औरआत्मसंतोष देता है। एक साफ्टवेयर इंजीनियर के सप्ताहांत एक कलाकार के रूप में बदल जाते हैं। मेरी बनाई कलाकृतियां मेरे घर में सजी हुईहैं।
  
   

शनिवार, 3 जून 2017

मेरा घर क्लासिक बुक की तरह है- अनुराधा वर्मा


 कहते हैं घर आपके व्यक्तित्व को दर्शाता है। घर की साजसज्जा से रुचि का पता चलता है। अनुराधा वर्मा कहती हैं कि मेरा घर मेरे लिए एक मेरी पसंदीदा कलात्मक किताब की तरह से है जिसके हर पन्ने में कला के रंग हों और जो सबका मन मोह ले।  यह मेरे परिवार के सदस्यों में खुशी के भाव पैदा करे। मैं घूमने की शौकीन हूं। जहां-जहां जाती हूं वहां की खास चीजें ले आती हूं। मेरे घर में हर तरह का क्राफ्ट है। कलकत्ता  दिल्ली से खरीदी गई तांबे की मूर्तियां मैंने एक स्पेशल कार्नर में सजाई हैं जहां बैठकर मैं सुबह की चाय पीती हूं।
मेरे घर की साजसज्जा में ओरिएंटल थीम दिखाई दे सकती है। यह जो कुर्सियां हैं वह चीन की परंपरागत कुर्सियां हैं जिसमें दूल्हा- दुल्हन बैठते हैं। मुझको इसकी बनावट बहुत पसंद है क्योंकि यह सादगी भरा प्रभाव छोड़ती है। मेरे पास मुरानो ग्लास का संग्रह भी है जिसे मैंने इटली से खरीदा। मैक्सिको और स्पैन की पोटरी मेरी पसंदीदा  है।  भारतीय एथेनिक मोटिफ मुझको पसंद हैं जिनका मैंने प्रयोग किया है। गणेश मुझे पसंद हैं। मैं जब भी भारत जाती हूं गणेश अवश्य लेकर आती हूं। मेरे घर के प्रवेशद्रार पर गणेश विराजे हैं। मैं हमेशा सादगी की तलाश में रहती हूं। अपने नए नए विचारों को मैं कला के रूप में सजाती संवारती हूं। मुझे घर सजाना, घूमना और फोटोग्राफी का शौक है यह तीनों चीजें मेरी रचनात्मकता को बढ़ाती हैं।



शुक्रवार, 2 जून 2017

नमन डॉ.आराधना चतुर्वेदी


जिसने मुझे
उँगली पकड़कर
चलना नहीं सिखाया
कहा कि खुद चलो
गिरो तो खुद उठो,
जिसने राह नहीं दिखाई मुझे
कहा कि चलती रहो
राह बनती जायेगी,
जिसने नहीं डाँटा कभी
मेरी ग़लती पर
लेकिन किया मजबूर
सोचने के लिये
कि मैंने ग़लत किया,
जिसने कभी नहीं फेरा
मेरे सिर पर हाथ
दुलार से
पर उसकी छाँव को मैंने
प्रतिपल महसूस किया,
जिसने खर्च कर दी
अपनी पूरी उम्र
और जमापूँजी सारी
मुझे पढ़ाने में
दहेज के लिये
कुछ भी नहीं बचाया,
आज नमन करता है मन
उस पिता को
जिसने मुझे
स्त्री या पुरुष नहीं
इन्सान बनकर
जीना सिखाया.



special post

कुमाऊंनी भाषा के कबीर रहीम की जोड़ी डा. अनुजा भट्ट

   हल्द्वानी जो मेरे बाबुल का घर है जिसकी खिड़की पर खड़े होकर मैंने जिंदगी को सामने से गुजरते देखा है, जिसकी दीवारों पर मैंने भी कभी एबीसी़डी ...